गुरुवार, 16 मई 2013

आव्हान

हो मानव जब तुम मानव से तो प्यार करो रे 
निराश ह्रदय में आशा का संचार करो रे 

कातर स्वर कितने नित्य तुम्हें पुकार रहे है 
पीड़ा से अपनी नि-दिन वे चीत्कार रहे है 
बन पीड़ा हर सब पीड़ित जनों के त्रास हरो रे 
निराश ह्रदय में आशा का संचार करो रे 

कितनी ही श्वासें गर्भों में दम तोड़ रही है 
कलिया कितनी ही खिले बिन चटक रही है 
मानव हो तो दानव सा मत काम करो रे 
निराश ह्रदय में आशा का संचार करो रे 

तरुणाई कितनी लक्ष्य हीन हो भटक रही है 
माताएं कितनी वृद्धाश्रम में तड़प रही है 
मझधार में डूबती नैया की पतवार बनो रे 
निराश हृदय में आशा का संचार करो रे 

हो मानव जब तुम मानव मन की थाह गहो रे 
क्षमा दया तप त्याग की मिसाल बनो रे 
 अब मानवता हित तेजी से हुंकार भरो  रे 
निराश ह्रदय में आशा का संचार करो रे 
                                                                      दीपिका "दीप "

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