.
जीवन में हमारे कभी-कभी , ऐसे मोड़ भी आते है
कुछ राही अनजाने बन कर ,अनायास टकराते है
बन के सहारा साथी हमारा ,हम ही को लूट जाते है
भूख प्यास नींदें ही नहीं ,कई सपने छिन जाते है
पैठ जाते है अन्तस् में, इस तरह वे आते है
लाख करे कोशिश हम , फिर निकल नहीं पाते है
महल झूठ के नित्य प्रति ,यहाँ बनाए जाते है
नित्य नए फरेब के ही ताने बुने जाते है
हम तो बस बेबस हो कर ,आहें ही भर पाते है
लाख करे कोशिश पहचान ही नहीं पाते है
ओढ़े मुखोटे लोग अनगिनत ,चारों तरफ आते है
व्यथा सुनाए किसको ,हम दर्द न कोई पाते है
वफ़ा के बदले धोखा दे ,बेवफ़ा बन जाते है
लाख करे कोशिश हम ,प्रतिकार न कोई ले पाते है
देख उन्हें खिला-खिला हम भी तो खिल जाते है
बिन धागे के जाने क्यूँ फिर खींचे चले जाते है
विधना के हाथों खुद को परवश हम सदा पाते है
लाख करे कोशिश 'दीप "यह बुझते नहीं पाते है
दीपिका "दीप "
कुछ राही अनजाने बन कर ,अनायास टकराते है
बन के सहारा साथी हमारा ,हम ही को लूट जाते है
भूख प्यास नींदें ही नहीं ,कई सपने छिन जाते है
पैठ जाते है अन्तस् में, इस तरह वे आते है
लाख करे कोशिश हम , फिर निकल नहीं पाते है
महल झूठ के नित्य प्रति ,यहाँ बनाए जाते है
नित्य नए फरेब के ही ताने बुने जाते है
हम तो बस बेबस हो कर ,आहें ही भर पाते है
लाख करे कोशिश पहचान ही नहीं पाते है
ओढ़े मुखोटे लोग अनगिनत ,चारों तरफ आते है
व्यथा सुनाए किसको ,हम दर्द न कोई पाते है
वफ़ा के बदले धोखा दे ,बेवफ़ा बन जाते है
लाख करे कोशिश हम ,प्रतिकार न कोई ले पाते है
देख उन्हें खिला-खिला हम भी तो खिल जाते है
बिन धागे के जाने क्यूँ फिर खींचे चले जाते है
विधना के हाथों खुद को परवश हम सदा पाते है
लाख करे कोशिश 'दीप "यह बुझते नहीं पाते है
दीपिका "दीप "